श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी का अद्भुत जीवन परिचय

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Shri Gaurav Krishna Goswami
Shri Gaurav Krishna Goswami

श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी संगीत विशेषज्ञ स्वामी हरिदास जी के वंशज हैं। भारत की भूमि पर अनेक दिव्य संतों ने जन्म लिया है और इन्हीं संतों में से एक  संत परिवार में जन्म हुआ महान कथा वाचक श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी का। 

श्री गौरव कृष्णजी गोस्वामी: जीवन परिचय

इनके प्रवचन और भजनों का प्रसारण आस्था या आध्यात्म जैसे धार्मिक टीवी चैनलों पर अक्सर होता रहता है। श्री गौरव गोस्वामी जी ने ना केवल बुजुर्ग वर्ग को प्रभावित किया है बल्कि युवाओं को भी सही दिशा और सही मार्गदर्शन दिखाया है। 

इन्होंने न केवल देशवासियों के बल्कि विदेश में रहने वाले कई लोगों के दिलों में भी भारत की आध्यात्मिक परंपरा और समृद्ध संस्कृति को जिंदा रखा है। श्रीमद भागवत पुराण के विशेष ज्ञान के साथ-साथ उन्हें संस्कृत भाषा का भी काफी अच्छा ज्ञान है और इसी कारण उन्हें “व्याकरण आचार्य” के खिताब से भी संबोधित किया जाता है।

श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी का निजी जीवन

6 जुलाई 1984 को श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी और श्रीमती वंदना गोस्वामीजी के घर श्री गौरव कृष्णजी गोस्वामी का जन्म हुआ। उनकी जन्म भूमि पावन धाम वृंदावन है। कृष्ण उपासक वैष्णव परिवार में जन्म होने के कारण जो संस्कार और भक्ति उन्हें विरासत में मिली है, वह उनकी वाणी और व्यवहार में साफ झलकती है। 

Shri Gaurav Krishna Goswami

श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी

श्री गौरव कृष्ण जी महाराज एक सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं और वे दो प्यारे बच्चों के पिता भी हैं। उनकी बेटी राध्या और बेटा नीरव भी अपने परिवार के रीति-रिवाज और संस्कार को मानते हैं।

भागवत कथा वाचक के रूप में शुरुआत

साल 2002 में मात्र 18 वर्ष की उम्र में श्री गौरव कृष्ण महाराज ने भागवत कथा कहना प्रारंभ किया। लेकिन यह कार्य उन्होंने बिना अनुभव नहीं किया बल्कि उन्होंने व्यास गद्दी स्वीकारने से पूर्व अपने पिता श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी से 108 हफ्ते तक भगवत पुराण का श्रवण किया।

अपनी पहली ही कथा में श्री गौरव कृष्णजी महाराज ने एक बड़े जनसमूह को आकर्षित किया। सात दिन चली इस कथा ने सबको श्रीमद्भागवत के प्रेम और भक्ति रस में डुबो दिया। एकत्रित हुए सभी जनों ने आत्मिक शांति एवं परमानंद की प्राप्ति की। 

तभी से श्री गौरव कृष्णजी महाराज की राधा कृष्ण और भागवत के प्रति प्रेम-धारा निरंतर बह रही है।आज भारत के साथ-साथ वे कई विदेश-यात्राएं भी कर चुके हैं। भागवत कथा प्रेमियों और भक्तों को उन्होंने भक्ति का सच्चा मार्ग दिखाया है। यही कारण है कि वह आज लाखों अनुयायियों के दिलों में प्रवेश कर चुके हैं। 

श्री  गौरव कृष्णजी महाराज का कथा कहने का तरीका इतना अदभुत है कि कथा बहुत ही सहज एवं आकर्षक लगती है। बीच-बीच में जब वे बांके बिहारी और राधा कृष्ण के भजन गाते हैं तो पूरा माहौल ही पावन हो जाता है।

चाहे कितनी भी बार आप उनके मुख से भागवत कथा सुनलें लेकिन हर बार ताज़गी और एक नएपन का एहसास होता है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देता है।

श्री भगवत मिशन ट्रस्ट की स्थापना

श्री गौरव कृष्ण जी महाराज के पिता भगवत मिशन ट्रस्ट के स्थापक हैं। यह ट्रस्ट वृंदावन में श्री राधा रानी गोशाला जिसमें 150 गाय हैं एवं राधा स्नेह बिहारी आश्रम जैसी परियोजनाओं को चलाता है। इस ट्रस्ट के साथ भी गौरव गोस्वामी जी जुड़े हुए हैं। 

वे समय-समय पर अपने पिता की मदद भी करते रहते हैं और देश विदेश में इन प्रयोजनाओं का प्रचार-प्रसार भी करते हैं।

राधा कृष्ण के प्रति प्रेम

श्री गौरव कृष्णजी महाराज को अपने परिवार की तरह राधा कृष्ण से भी अटूट प्रेम है। वह मानते हैं कि मन की शांति और आत्मा की पवित्रता के लिए राधे Krishna Bhajan कृष्ण का जाप करते रहना अनिवार्य है।

राधा-कृष्ण के लिए ही उनका जीवन समर्पित है। वे कहते हैं कि वह केवल अपने देश में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राधा नाम का प्रचार करना चाहते हैं और चाहते हैं कि हर कोई वृंदावन के महत्व को समझ सके। 

राधे कृष्ण भजन (Radhe Krishna Bhajan)

जब वे राधा कृष्ण के भजन गाते हैं तो भक्तों को ऐसा लगता है कि मानो वृंदावन ही पहुंच गए हों। श्री गौरव कृष्ण जी महाराज के भजन देश-विदेश में भी बहुत लोकप्रिय हैं। उनके भजनों के कैसेट और रिकॉर्ड टेप कई मंदिरों में और घरों में चलते रहते हैं।

Radhe Krishna Bhajan

Radhe Krishna Bhajan

वह आज इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि इनके भजन के बिना राधा कृष्ण की भक्ति भी अधूरी लगती है।कथा के बीच में जब श्री गौरव कृष्णजी महाराज भजनों को गाते हैं तो भक्तों का मन करता है कि उनकी मधुर वाणी और सुनाई जाने वाली कृष्ण लीलाओं का अंत ही न हो। वे सब कुछ भूल कर Srimad Bhagavad कथा की महिमा में पूरी तरह रम जाते हैं।

उनके बांके बिहारी Bhakti Songs भी पूरे विश्व में काफी लोकप्रिय हुए हैं। “ब्रज चौरासी कोस यात्रा” और “राधे सदा मुझ पर” उनके सबसे ज़्यादा सुने जाने वाले भजन हैं। 

जय श्री राधेकृष्ण!