बाबा रामदेव – महान योग गुरु से सफल उद्यमी बनने तक का सफर

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बाबा रामदेव - महान योग गुरु
बाबा रामदेव - महान योग गुरु

योग गुरु बाबा रामदेव जी को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। योग और आयुर्वेद से जुड़े बाबा रामदेव दुनिया के सबसे सम्मानित योग गुरुओं में से एक हैं और पतंजलि के द्वारा अब उनकी गिनती भारत के सबसे सफल उद्यमियों में भी होने लगी है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में भाग रहे भारतीयों को दोबारा योग व आयुर्वेद की तरफ मोड़ने तथा इसके महत्व समझाने का काम स्वामी रामदेव ने किया है।

बाबा रामदेव – महान योग गुरु

प्रारंभिक जीवन

26 दिसंबर 1965 को हरियाणा के हजारीबाग अली सैयद पुर गांव, जिला महेंद्रगढ़ में रामनिवास यादव और गुलाबों यादव के घर एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम राम कृष्ण यादव रखा गया। पास के एक गांव में रामकृष्ण ने आठवीं तक शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद खानपुर के गुरुकुल में प्रवेश लिया। रामकृष्ण का जन्म एक बहुत ही निर्धन परिवार में हुआ था। 

कृषक दंपत्ति का यह पुत्र मात्र दो-ढाई साल का था तभी लकवे जैसी भयंकर बीमारी ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया। योग का निरंतर अभ्यास करते-करते रामकृष्ण ठीक हो गए। तब से वे लगातार योगाभ्यास करते आ रहे हैं और योग के ही छात्र रहे हैं। लोक कल्याण की पवित्र भावना ने ही रामकृष्ण को बाबा रामदेव बना दिया।

सफलता के लिए बाबा रामदेव की यात्रा सहज नहीं थी और ना ही उन्होंने एक रात में इसे हासिल किया है बल्कि यह कई वर्षों का लंबा संघर्ष है। आइए नजर डालते हैं बाबा रामदेव के सफलता के इस अद्भुत सफर पर।

बाबा रामदेव और योग का संबंध

बाबा रामदेव के योगासन हम सब के लिए प्रेरणा है जो मानसिक और शारीरिक तौर पर हमें स्वस्थ तो रखते ही हैं, साथ ही देश की संस्कृति से भी जोड़े रखते हैं। 1995 में आचार्य बालकृष्ण और आचार्य कर्मवीर के साथ मिलकर बाबा रामदेव ने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की इस संस्थान में सबको योग की मुफ्त शिक्षा दी जाती थी।

सादगी और मेहनत से भरा बाबा रामदेव का जीवन

बाबा रामदेव अन्य ढोंगी बाबाओं की तरह विलासिता में विश्वास नहीं रखते अपितु वे एक अनुशासित जीवन जीते हैं। बाबा “सादा जीवन उच्च विचार” इस मंत्र पर विश्वास करते हैं। उनकी दिनचर्या कुछ इस प्रकार हैं, वह प्रातः 3:00 बजे उठते हैं, योग करते हैं और रोज़ लगभग 18 से 20 घंटे मेहनत से काम करते हैं। 

बाबा रामदेव और योग

बाबा रामदेव और योग

शराब, अंडा और मोबाइल जैसी चीजों से दूरी बनाए रखते हैं और रात को जमीन पर ही सोते हैं। निजी संपत्ति के नाम पर भी उनके पास मात्र एक घड़ी, एक जोड़ी खड़ाऊं और 4 जोड़ी कपड़े ही हैं। यही बताता है कि स्वामी रामदेव किस प्रकार जमीन से जुड़े हुए हैं।

पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते-अपनाते हम भारत के योग को अनदेखा करने लगे थे और भूलने लगे थे लेकिन जब योग को पूरी पूरे विश्व ने अपनाया और यह Yoga बनकर वापस भारत में आया तब लोगों को इसका महत्व समझ में आया। लेकिन योगा को फिर से योग बनाने का श्रेय बाबा रामदेव को ही जाता है।

आस्था चैनल ने 2003 में सुबह के कार्यक्रम में रामदेव को दिखाना शुरू किया और बाबा रामदेव का योगा एक भारी जनसमूह को आकर्षित करने में सफल रहा। और आज भी भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बड़ी-बड़ी हस्तियों को योग सिखाते हैं।

अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ बाबा रामदेव का संबंध

जन साधारण तो बाबा के योगासनों से प्रभावित हैं ही, साथ ही देश-विदेश की विभिन्न हस्तियां भी बाबा रामदेव से योगा सीखती हैं।

योग गुरु बाबा रामदेव से योगा सीखने वाले हस्तियों में विशेष रूप से सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और खूबसूरत अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का नाम उल्लेखनीय है। अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी बाबा रामदेव को विशेष रूप से अपनी प्रेरणा मानती हैं और उन्होंने स्वयं भी अपनी योगा की सीडी लॉन्च की है।

बाबा रामदेव के भजन

बाबा रामदेव को योगा के साथ भजनों का भी विशेष शौक है। अपने योगा के कैंप और योगा के आयोजनों में योगा सिखाने के साथ-साथ भजन भी सुनाते रहते हैं जिससे सीखने वालों का मनोरंजन भी होता है और जीवन में अच्छे कर्म करने के प्रति प्रेरणा भी मिलती है। निजी रूप से उनके द्वारा गाए जाने वाले भजनों में से एक भजन जो पसंद है, वो है – “तेरी मेहरबानी का बोझ इतना है…।”

पतंजलि योगपीठ की स्थापना

2006 में बाबा रामदेव ने अपने साथी आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। उनके पास भविष्य के बारे में बहुत स्पष्ट दृष्टि थे कि वह क्या निर्माण करना चाहते हैं, साथ ही अपने लक्ष्यों और उद्देश्य एवं पतंजलि के साथ क्या हासिल करना है इस बारे में भी पूर्ण स्पष्टता थी।

Patanjali yogpeeth
Patanjali yogpeeth

आयुर्वेद के विज्ञान को स्थापित करने और प्राचीन ज्ञान एवं नवीनतम तकनीक के विलय के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के इच्छुक थे और उन्होंने इसे सफलतापूर्वक प्राप्त भी किया। पतंजलि की शुरुआत आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ हुई थी लेकिन आज पतंजलि के उत्पादों का सौंदर्य, भोजन, जीवनशैली, दवा जैसी विभिन्न प्रकार की श्रेणियों में बाजार में विस्तार हुआ है।

सन 2015-16 में तो पतंजलि ने लगभग 500 करोड़ का व्यापार भी किया है। पतंजलि की सफलता बिना रामदेव और बालकृष्ण के संभव नहीं थी क्योंकि इन दोनों ने मिलकर ही अपने प्राचीन ज्ञान को अच्छे उत्पादों में परिवर्तित किया है।

बाबा रामदेव भी अन्य सफल उद्यमियों की तरह समुदाय की सेवा करने और समाज को उसका पैसा वापस देने का जुनून रखते हैं। पतंजलि के मुख्य उद्देश्यों में से एक अपने देश भारत के लिए वास्तव में 100% भारतीय उत्पाद बनाना है।

बाबा रामदेव भारत के लोगों को स्थानीय रूप से बनाए गए उत्पादों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्वदेशी कारक के साथ आए। यही कारण है कि पतंजलि ने विभिन्न प्रकार के विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया और उन्हें कम कीमत पर बाजार में पेश किया।

अपने लोगों और देश में योगदान देने के लिए व्यवसाय और उत्पादों के निर्माण के अलावा इनका यह भी दावा है कि पतंजलि का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में सामाजिक और विकास के कारणों के लिए गैर-लाभकारी संगठन में अधिकांश लाभ दान करना है।

बाबा रामदेव को प्राप्त हुए सम्मान

बाबा रामदेव उन लोगों में से हैं जिनके अंदर एक जुनून होता है। यह कोई मौद्रिक पुरस्कार नहीं बल्कि जुनून है दुनिया को एक बेहतर बनाने का जिसने कई असाधारण लोगों को प्रेरित किया है। 

विभिन्न संस्थानों से योग गुरु बाबा रामदेव को कई सम्मान मिले हैं, जिनमें से उल्लेखनीय हैं:

  • इंडिया टुडे पत्रिका ने लगातार 2 वर्षों तक रामदेव को देश के 50 सबसे ज्यादा शक्तिशाली व प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
  • बेरहामपुर विश्वविद्यालय ने स्वामी रामदेव को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की है।
  • बाबा रामदेव को महामहोपाध्याय की मानद उपाधि भी प्राप्त है जो उन्हें राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति, आंध्र प्रदेश से मिली है।
  • ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय द्वारा बाबा रामदेव को ऑनरेरी डॉक्टरेट प्रदान की गई है।
  • मार्च 2010 में एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा ने डीo एससीo ऑनर्स से इनको सम्मानित किया।
  • डी0 वाई0 पाटील यूनिवर्सिटी ने अप्रैल 2010 में योग गुरु बाबा रामदेव को डीoएससीo (ऑनर्स) इन योगा की सम्मानित उपाधि दी है।
  • जनवरी 2011 में बाबा रामदेव को महाराष्ट्र के राज्यपाल केo शंकरनारायण ने ‘चंद्रशेखरानंद सरस्वती पुरस्कार’ प्रदान किया।
  • एसोचैम ने स्वामी रामदेव को ग्लोबल नॉलेज मिलेनियम ऑनर का सम्मान दिया है। इसके साथ ही देश-विदेश की अनेक संस्थाओं एवं सरकारों ने भी बाबा रामदेव को प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया है।