हैरान कर देने वाली भारत में होली की अनोखी परंपराएं 

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भारत में होली की अनोखी परंपराएं 

भारत में होली की अनोखी परंपराएं हैं जिनके बारे में शायद आपको न पता हो। भारत देश त्योहारों की भूमि है। यहां एक से एक अनोखे त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन रंगों के पर्व होली का विशेष महत्त्व है। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक पूरे देश में होली की अलग ही धूम रहती है। इसके साथ ही हमारे देश में इस त्योहार से जुड़ी अनोखी परंपराएं प्रचलित हैं जिन्हें सुनकर आप भी अचंभित हो जाएंगे। भारत की विविधता इस त्योहार की स्थान-स्थान पर बदलती परंपराओं में भी नज़र आती है। आइए नज़र डालते हैं इन अनोखी और रोचक परंपराओं पर –

महिलाओं की होली

होली का त्योहार देशभर में सब मिलकर मनाते हैं, ये किसी वर्ग विशेष या लिंग विशेष से संबंधित नहीं है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि भारत के एक गांव में इस त्योहार को केवल महिलाएं ही मनाती हैं। यह गांव कुंडरा उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित है। यहां किसी मर्द या बच्चे को होली खेलने की अनुमति नहीं है केवल महिलाएं ही इस अवसर का आनंद उठाती हैं।

holi with females gif
holi with females

कुंडरा गांव के निवासी बताते हैं कि एक बार होली के अवसर पर वहां स्थित राम जानकी मंदिर में सब लोग उत्सव मना रहे थे। तभी कुख्यात बदमाश मेंबर सिंह ने एक युवक को गोली मार दी और तबसे वहां कई वर्षों तक किसी ने भी होली का पर्व नहीं मनाया। कुछ समय बाद गांव की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि होली पर गांव के मर्द या तो घर में बैठेंगे या कहीं बाहर चले जाएंगे और उनकी अनुपस्थिति में महिला मंडल इस त्योहार को सभी रस्मों के साथ आनंदपूर्वक मनाएगा। इसलिए यहां की होली को महिलाओं की होली कहा जाता है।

ब्रज की होली

ब्रज की लड्डू मार होली भी अपने आप में अनूठी परंपरा है। ब्रज क्षेत्र में होली किसी एक दिन का पर्व नहीं बल्कि यह वसंत पंचमी से लेकर चैत्र कृष्ण रंगपंचमी तक मनाई जाती है। ब्रज क्षेत्र के हर मंदिर में होली के गीत और भगवान के भजन गूंजते रहते हैं और नृत्य होते रहते हैं। यहां तक कि सबसे पहले भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ ही अबीर, रंग और गुलाल लगाकर होली खेली जाती है। होली पर भगवान कृष्ण की विशेष झांकी सजाई जाती है जिसके दर्शन पाने के लिए सभी व्याकुल रहते हैं। होली खेलने से पहले लड्डू मार होली खेलने की परंपरा है। मंदिर में मौजूद पुजारी सभी श्रद्धालुओं पर लड्डू की बरसात करते हैं जिसे भगवान का प्रसाद माना जाता है। ब्रज मंडल में फूलों का प्राकृतिक रंग इस्तेमाल किया जाता है इसलिए वहां का त्योहार सबसे मर्यादावान है। ब्रज की होली भगवान कृष्ण के प्रेम और भक्ति में डूबने का एक और अवसर प्रदान करती है।

brij ki holi

वृंदावन की होली

ब्रज के हर क्षेत्र में होली की अलग ही धूम रहती है। वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है जिसमें एक दूसरे पर पुष्पों की वर्षा करके स्नेह बांटा जाता है। यह होली का त्योहार 7-8 दिन तक मनाया जाता है जो फूलों की होली से शुरू होकर गुलाल, अबीर, सूखे रंग, गीले रंग और पानी पर जाकर समाप्त होती है।

vrindavan ki holi

एक दूसरे पर पुष्पों की वर्षा का दृश्य इस दुनिया का लगता ही नहीं बल्कि वह श्री कृष्ण के सामीप्य की अनुभूति कराने वाला होता है। शाम को राधा-कृष्ण के रूप में नृत्य कर रहे विभिन्न कलाकारों का प्रदर्शन भी देखने लायक होता है।

बरसाना की होली

यूँ तो होली का उत्सव अपने रंगों के लिए प्रसिद्द है लेकिन उत्तर प्रदेश की एक जगह ऐसी भी है जहां रंगों के साथ-साथ डंडों और लाठियों से भी होली खेली जाती है। जी हाँ ! आप सही समझ रहे हैं, हम बात कर रहे हैं देश-विदेश में प्रसिद्ध बरसाने की लठ्ठमार होली की।

barsaana ki holi
Barsaana ki Holi

राधा कृष्ण की लीलाओं को याद करते हुए फागुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को यह होली मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के युवक बरसाने जाते हैं और बरसाने के युवक नंद गांव आते हैं जिन्हें होरियारे कहा जाता है। होली की धुन में नाचते हुए युवकों का स्वागत वहां की स्त्रियां हाथों में लाठी लिए करती हैं। जैसे ही दोनों का आमना सामना होता है तो महिलाएं युवकों पर लाठियां बरसाना शुरू कर देती हैं और बीच में कुछ लोग रंग उड़ाते रहते हैं। इतना ही नहीं यदि किसी पुरुष को लाठी छू जाए तो उसे मारने वाली होरियरिन को नेग देना पड़ता है। यह पूरा दृश्य देखने लायक होता है जिसे कई देशों के अतिथि देखने आते हैं।

लठमार होली –

इस होली की बरसाने के साथ पूरे देश में ही अलग पहचान है। यहां तक कि लठ्ठमार होली के मुरीद विदेशों में भी कम नहीं है। जो लोग इसका आनंद नहीं उठा पाते हैं वे टेलेविज़न पर इस नज़ारे का आनंद अवश्य उठाते हैं। जब महिलाएं लाठी से मारती हैं और पुरुष बचते हुए यहां-वहां भागते हैं तो हंसी ठिठोली का यह माहौल होली को और भी आनंदमय बना देता है। लठ्ठमार होली के पीछे की कथा कुछ इस प्रकार है कि भगवान कृष्ण जब गोपियों को होली के लिए इंतज़ार करवाते थे तो गोपियाँ नाराज़ होकर उनको लाठियों से पीटती थीं। यही परंपरा बरसाने की लड़कियों और नंद गांव के लड़कों ने आजतक कायम रखी है।

lathmar holi

मथुरा की होली

बरसाने की लठ्ठमार होली की तरह ही मथुरा की कोड़े वाली होली भी काफी मशहूर है। यहां महिलाएं कपड़े के कोड़े बनाकर पुरुषों को मारती हैं। साथ ही रंग लगाने की परंपरा भी चलती रहती है। हंसी मजाक के इस माहौल में देसी घी के लड्डू भी बांटते हैं जो रंगोत्सव की मिठास को और बढ़ा देते हैं।

mathura ki holi
Mathura ki Holi

दंतेवाड़ा की होली – रंग नहीं मिट्टी लगाते हैं लोग

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्र दंतेवाड़ा की होली भी अपनी अनोखी परंपरा के लिए विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि एक बार बस्तर पर आक्रमण हुआ और बस्तर की राजकुमारी के अपहरण की कोशिश की गई। तब राजकुमारी ने भाग कर दंतेश्वरी मंदिर के सामने आग जलाकर जौहर करके अपने सम्मान की रक्षा की। इसीलिए यहां होलिका दहन राजकुमारी के आग में प्रवेश करने की घटना को याद करते हुए मनाया जाता है। रंगों की जगह भी होलिका की राख और मिट्टी से ही होली खेली जाती है और अपहरण करने वालों को गालियां दी जाती हैं। दंतेवाड़ा में यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।

तलवार वाली होली

तलवारों के साथ होली का संबंध सुनकर आपको आश्चर्य हो सकता है परंतु यह सच है। मेरठ से लगभग 12 किलोमीटर दूर बिजौली नामक गांव में होली का त्योहार सुंओं और तलवारों के साथ मनाया जाता है। इस 200 साल प्राचीन परंपरा के अनुसार गांव के निवासी होलिका दहन की राख को अपने बदन पर लगाते हैं और धुलेड़ी वाले दिन तलवारों को पेट पर बांध कर मुंह में सुंओं से घाव करते हैं। यह परंपरा आपको अजीब लग सकती है लेकिन उनके होली मनाने का यही तरीका है। यह अनोखी परंपरा किसी बाबा ने 200 वर्ष पहले शुरु की थी जिनकी समाधि आज भी गांव में है। ऐसी मान्यता है कि यदि इस परंपरा को रोक दिया जाए तो गांव को किसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ सकता है।

holi with sword

डाट होली

भारत में होली की अनोखी परंपराओं की श्रेणी में हरियाणा के पानीपत जिले की ‘डाट होली’ भी प्रसिद्द है। इस 850 वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार हज़ारों लोग अपने हाथ ऊपर की ओर बांधकर एक दूसरे को धक्का देते हैं। 15 दिन पहले से ही इसकी तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो जाती हैं।

एक बार गांव के जैलदार के बेटे की होली के अवसर पर मृत्यु हो गयी जिससे सारा गांव शोक में डूब गया। गांव की प्राचीन परंपरा को टूटता देख जैलदार धूमन ने रंग भरी बाल्टी बेटे की अर्थी पर डाल लोगों को समझाया कि जीवन-मरण भगवान के हाथ में है और इसके लिए हम अपने पर्वों को नहीं भुला सकते हैं। इस प्रकार उन्होंने होली की परंपरा को टूटने से बचाया और डाट होली की परंपरा आज भी कायम है। सभी लोग धर्म और जाति से ऊपर उठकर होली के उत्सव में शामिल होते हैं।

holi in india

इसके अलावा मध्य प्रदेश की भील जाती की भजोरिया होली, छत्तीसगढ़ की होरी, राजस्थान की होली, मथुरा के एक गांव में प्रह्लाद को याद करते हुए आग में कूदने वाली होली, गोवा की आधुनिक रंग में रंगी हुई होली, और सिक्खों की शक्ति प्रदर्शन वाली होली आदि भी भारत में प्रचलित है।