Holi Story & Radha Krishna Story in Hindi
राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी : होली का नाम दिमाग में आते ही जो छवि उभरती है वो है रंग, गुझिया, पकवान, मस्ती और धमाल। हमारे देश में होली के त्यौहार को अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न तरीको से मनाया जाता है। रंगों में सराबोर होकर इस दिन लोग हर गिला-शिकवा भुला कर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं। इस दिन को अच्छाई का बुराई पर जीत के रूप में जाना जाता हैं। वहीं इसे प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है। राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी (story of radha krishna) सदियों से सुनी और सुनाई जाती रही है। दोनों का नाम भी हमेशा साथ में लिया जाता है- राधेकृष्ण। बात जब भी प्रेम की आती है तो मिसाल दी जाती है, भगवान कृष्ण और राधा रानी (radha-krishna legend) के प्रेम की। होली के त्यौहार और राधा-कृष्ण दोनों का अटूट रिश्ता है। जानिए होली और राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी।
होली और राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी | Radha Krishna Story
श्री कृष्ण(sri krishna) की लीलायें पूरे संसार में प्रसिद्ध हैं। फिर चाहे वो चाहे उनके बाल काल की हों, युवा काल की या महाभारत के समय की। ऐसे ही लोकप्रिय है होली और राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी और राधा कृष्ण की होली (history of radha krishn)। श्री कृष्ण-राधा और होली की यह कहानी बेहद रोचक और अनूठी है।
पूतना वध | Pootna Holi Story
यह तो हम जानते ही हैं कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार हैं। भगवान विष्णु ने यह अवतार दुष्ट कंस के वध के लिए लिया था। कंस रिश्ते में श्री कृष्ण का मामा था। एक आकाशवाणी से कंस यह जान चुका था कि उसका वध देवकी की संतान के हाथों होगा। कंस ने अपनी बहन देवकी की आठ संतानों को मार दिया। श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव की नौवीं संतान थे। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद कंस से बचा कर वासुदेव ने उन्हें अपने मित्र नंद के यहाँ छोड़ दिया। कृष्ण को नंद और यशोदा ने ही अपने पुत्र की तरह पाला। कंस को यह पता चल गया था कि उसे मारने वाला नंद के गांव में पल रहा है।
कंस ने श्री कृष्ण को मारने के कई प्रयास किये। उन्होंने एक बार पूतना नामक राक्षसी को भेजा। ताकि वो श्री कृष्ण को अपने स्तन से विषपान करा कर उन्हें मार सके। श्री कृष्ण ने पूतना का दूध पिया लेकिन उस विष के प्रभाव से उनका रंग काला हो गया। बाद में श्री कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया। मृत्यु के बाद पूतना का शरीर वहां से गायब हो गया। तो वहां के लोगों से पूतना का एक पुतला बनाया और उसे जला दिया।
ऐसे हुई होली की शुरुआत | Holi Story
श्री कृष्ण और राधा दोनो एक दूसरे से प्रेम करते थे। राधा-कृष्ण के संबंध की कहानी आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितनी पहले थी। श्री कृष्ण के श्याम रंग के कारण राधा उन्हें चिढ़ाया करती थी। चिढ़ कर जब श्रीकृष्ण ने यशोदा से पूछा कि “राधा गोरी और मैं काला क्यों हूँ”। कृष्ण को दुखी देखकर उन्होंने राधा को अपने रंग में रंगने के लिए कहा। यशोदा ने उन्हें राधा के मुख पर अपने पसंद का रंग लगाने की सलाह दी। यह सुन कर श्री कृष्ण प्रसन्न हो गया। वो तुरंत गए और राधा और अन्य गोपियों को रंगने लगे। ऐसा माना जाता है कि वो दिन फागुन के महीने के खूबसूरत दिन थे। इसके बाद से ही यह परम्परा शुरू हो गयी। इसीलिए आज भी मथुरा, वृंदावन, गोकुल, ब्रज और बरसाना की होली पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
श्री कृष्ण-राधा की होली | Radha Krishna Holi
पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले श्री कृष्ण ने ही राधा जी से होली खेली थी। जिसके बाद यह परम्परा शुरू हुई। श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े स्थान जैसे मथुरा, वृंदावन, बरसाना और ब्रज में आज भी वैसे ही होली खेली जाती है। जैसे श्री कृष्ण खेला करते था यह प्रेम की होली हैं। ब्रज की होली राधा-कृष्ण के प्रेम से सराबोर होती है। ब्रज में लठमार होली खेली जाती हैं। जिसमें लोग राधा-कृष्ण का रूप ले कर नृत्य करते हैं और होली खेलते हैं। राधा कृष्णा रास लीला रचाई जाती है। इसमें महिलाएं पुरुषों पर लठ से बार करती हैं और पुरुषों को उनके वार से बचना होता है। नंदगाव के पुरुष इस दिन राधा जी की जन्मस्थली बरसाना में होली खेलने जाते हैं। बरसाना की फूलों की होली प्रसिद्ध है। बरसाना की होली देखने विदेशों से भी लोग आते हैं।
मथुरा के साथ-साथ वृन्दावन की होली भी अद्वितीय होती है। यहाँ भी फूलों की होली खेली जाती है। बसंत के मौसम से एक दूसरे को रंगना और होली खेलने को श्रीकृष्ण की लीला माना जाता है। लोग राधा-कृष्ण की वेशभूषा में गीत, फगुआ गाते हैं और नाचते हैं। एक दूसरे पर रंगों की जगह फूलों का प्रयोग किया जाता है। ऐसी होली का आनंद ही अलग है। माहौल भक्तिमय और आनंदित हो जाता है। इसके साथ ही फूलों की खुशबु आनंद को दुगुना कर देती है।
प्रेम की होली | Prem ki Holi | Radha Krishna Love Story
श्री कृष्ण और राधा का रिश्ता आम रिश्ता नहीं था दोनों का प्रेम निश्छल और अद्वितीय था। फिर भी दोनों का विवाह नहीं हुआ। श्री कृष्ण का विवाह(Krishna marriage) रुक्मिणी से हुआ जबकि राधा का विवाह(radha marriage) किसी ग्वाले से। अक्सर मन में यह सवाल आता है कि श्रीकृष्ण ने राधा से कभी विवाह क्यों नहीं किया। एक बार श्री कृष्ण से राधा जी ने पूछा कि वो क्यों उनसे विवाह नहीं करना चाहते। तो श्री कृष्ण ने जवाब दिया था कि वो दोनों अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही है। राधा जी उनकी आत्मा हैं और उनके बिना श्री कृष्ण का भी कोई अस्तित्व नहीं है। इस कारण वो उनसे विवाह नहीं कर सकते।
श्री कृष्ण और राधा का प्रेम(krishna-radha love story) कोई सामान्य प्रेम नहीं बल्कि भक्ति पूर्ण प्रेम हैं। श्री कृष्ण और राधा का प्रेम आत्मा का परमात्मा से मिलन का प्रमाण है। श्री कृष्ण और राधा का कभी विवाह नहीं हुआ, लेकिन उन दोनों का प्रेम सबसे ऊपर है। उनकी होली भी भक्तिपूर्ण होली है। इसमें प्रयोग होने वाला रंग भी भक्ति, विश्वास और प्रेम का रंग है। इस दिन जो होली जलाई जाती है वो अहंकार, जलन, गुस्से और हर अवगुण की होली होती है। जिसे जलाने के बाद ही मनुष्य की हर कामना पूरी होती है। इसके साथ ही श्रीकृष्ण और राधा जी की कृपा प्राप्त होती है।
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