इलाहाबाद कुंभ 2019 : इतिहास, रिवाज़, आकर्षण, अनुसूची और महत्वपूर्ण तिथियां

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इलाहाबाद कुंभ 2019

भारत के महापर्व कुंभ का आयोजन इलाहाबाद/ प्रयागराज में होने जा रहा है। इस मेले ने अपनी रंगत बिखेरनी शुरू कर दी है। इससे पहले आप भी इसका आनंद उठाने जाएं, जानिये कुछ रोचक जानकारी।

क्या है कुंभ का इतिहास

कुंभ मेले का इतिहास काफी प्राचीन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मान्यता है कि कुंभ का आरंभ समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गया था। वहीं कुछ लोगों का कहना यह भी है कि इसका इतिहास 850 वर्ष पुराना है जब इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी।

कहते हैं समुद्र मंथन के उपरांत असुरों से बचाने के लिए गरुण देव अमृत का कलश लेकर उड़ गए थे और यही अमृत हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन एवं नासिक में गिरा था, इसीलिए कुंभ का आयोजन इन्हीं चार स्थानों पर हर 3 वर्ष बाद होता है। 12 वर्ष बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंच जाता है।

शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी का पूरा 1 वर्ष होता है, इसलिए हर 12 वर्ष पर एक स्थान पर दोबारा कुंभ मेले का आयोजन होता है। वहीं देवताओं के 12 वर्ष पृथ्वी लोक के 144 वर्ष के बराबर होते हैं, ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग में भी 144 वर्ष बाद कुंभ का आयोजन होता है और उस वर्ष पृथ्वी पर महाकुंभ का आयोजन होता है। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में ही किया जाता है।

यह लोगों की कुंभ में आस्था ही है जो उन्हें बिना किसी निमंत्रण के यहां एकत्रित होने के लिए कहती है। हर बार करोड़ों लोग कुंभ में डुबकी लगाने आते हैं। इस पर्व पर हिमालय और कन्याकुमारी पास आ जाते हैं, वहीं अरुणाचल प्रदेश और कच्छ की दूरियां मिट जाती हैं। इस पर्व का आकर्षण ही ऐसा है कि देश के हर स्थान से और केवल देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग कुंभ नगरी में डुबकी लगाने आते हैं। इन की वेशभूषा, भाषा, रंग-ढंग एक दूसरे से भिन्न अवश्य है लेकिन कुंभ के प्रति इनकी श्रद्धा, विश्वास और प्रेम इन्हें आपस में जोड़े रखता है और एक बनाता है। यहां पर बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी अनेकता में एकता का संदेश देते हुए आते हैं। अमीर से अमीर और गरीब से गरीब सभी के बीच एक ही भावना और एक ही सांस्कृतिक समरसता के दर्शन होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि कुंभ पूरे देश को एक सूत्र में बांधता है।

कुंभ मेले के आकर्षण

शाही स्नान कुंभ का आकर्षण केंद्र माना जाता है लेकिन इसके अलावा आपको प्रयागराज में होने वाले कुंभ के कुछ और मुख्य आकर्षण के बारे में भी पता होना जरूरी है। यह हैं मेले के प्रमुख आकर्षण –

1. पेशवाई

पेशवाई या प्रवेशाई एक देशज शब्द है जिसका अर्थ है शोभायात्रा। कुंभ के आयोजन में पेशवाई काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि यह दूर-दूर से आने वाले लोगों का स्वागत करती है और उन्हें होने वाले आयोजनों के बारे में बताती हैं। साधु संत की टोलियां धूमधाम से हाथी, घोड़े, बैंड बाजे के साथ कुंभ पहुंचते हैं। जिस मार्ग पर यह शोभायात्रा निकाली जाती है, उसकी दोनों ओर भारी संख्या में श्रद्धालु पुष्प वर्षा के लिए खड़े रहते हैं। अखाड़ों के लिए निर्धारित स्थलों पर भी सेवादार माल्यार्पण करने के लिए खड़े रहते हैं। स्वागत के लिए खड़े इस भीड़ का रोमांच देखने लायक होता है। अभी तक कुंभ में केवल 13 अखाड़े ही पेशवाई निकालते थे परंतु इस बार एक नया 14वां अखाड़े ने भी पेशवाई निकाली है जो कुंभ मेले में किन्नर अखाड़ा कहलायेगा। हमें आशा है इस बार यह कुंभ की शान और अधिक बढ़ा देगा।

2. सांस्कृतिक आयोजन

भारत सरकार भारत की समृद्ध एवं विविधता पूर्ण संस्कृति को हर रूप में बढ़ावा देती है। कुंभ 2019 में भी 5 विशाल सांस्कृतिक पंडाल स्थापित किए जाएंगे जिनमें लोक नृत्य, सांगीतिक प्रस्तुतियां जैसे कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे। इन पांचों में से गंगा पंडाल सबसे बड़ा होगा जिसमें मुख्य कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन पंडालों में जाकर यादें सहेजना बिल्कुल न भूलें।

3. आकर्षक टूरिस्ट वॉक

2019 के कुंभ मेले में आपको नए और आकर्षक टूरिस्ट स्पॉट देखने को मिलेंगे। विभिन्न टूरिस्ट स्पॉट पर जाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार आपको टूर ऑपरेटर भी मुहैया कराएगी। हालांकि इसके लिए आपको शुल्क देना आवश्यक होगा। यह है कुंभ की आकर्षक टूरिस्ट वॉक – “यात्रा का आरंभ शंकर विमान मंडपम से होगा, उसके बाद पहला पड़ाव होगा बड़े हनुमान जी का मंदिर, दूसरा पड़ाव पातालपुरी मंदिर, अक्षय वट तीसरा पड़ा होगा, फिर चौथा पड़ाव इलाहाबाद फोर्ट और पांचवा एवं अंतिम पड़ाव होगा रामघाट। यहां पर आप का भ्रमण समाप्त हो जाएगा।”

4. जलमार्ग

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण यमुना नदी पर संगम घाट के किनारे फेरी सेवाओं का संचालन करेगा। जलमार्ग सुजावन घाट से आरंभ होगा जो रेल सेतु के नीचे से वोट क्लब घाट व सरस्वती घाट से होता हुआ किला घाट में जाकर समाप्त होगा। इस 20 किलोमीटर लंबे जलमार्ग पर अनेक टर्मिनल बनाने की भी योजना है। मेला प्राधिकरण आपको अच्छा अनुभव देने के लिए नौकाएं उपलब्ध कराएगा। जलमार्ग पूरी कोशिश करेगा कि कुंभ का आप का यह सफर रोमांचक बन सके।

5. लेजर लाइट शो

कुंभ में एकत्रित होने वाले श्रद्धालुओं, धार्मिक गुरुओं और तीर्थयात्रियों तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को बेहतर अनुभव देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लेजर लाइट और ध्वनि प्रदूषण का भी प्रावधान मुहैया करा रही है। यह प्रदर्शन दिसंबर 2018 से किले की दीवार पर संचालित किया जा चुका है।

6. परिचायक प्रवेश द्वार

कुंभ के इतिहास में 2019 के मेले में पहली बार 20 से अधिक परिचायक अस्थाई प्रवेश द्वार (इनफॉर्मेटिक प्रवेश द्वार) बनाए जाएंगे। जो मेला प्रांगण की ओर जा रहे हैं मार्गों और मेले से बाहर के विभिन्न सेक्टरों को चिन्हित करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार का यह उपाय कुंभ मेले के सौंदर्य को और भी बढ़ाएगा तथा आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक रहेगा।

कुंभ के रस्मो-रिवाज़

कुंभ मेला मात्र एक आयोजन नहीं बल्कि यह महापर्व हमारे देश की परंपरा है। हमारी यह सांस्कृतिक विरासत करोडों लोगों की आस्था से जुड़ी धरोहर है। कुंभ में स्नान के लिए सभी लोग तत्पर दिखते हैं लेकिन इस मेले के भी कुछ रस्मो रिवाज हैं। इस महा मेले में सबसे पहले शंकराचार्य की सेना और नागा साधुओं को ही डुबकी लगाने की अनुमति होती है। उसके बाद आमजन स्नान के लिए जाते हैं। वैसे तो कुंभ में स्नान का वर्णन हमारे कई शास्त्रों और पुराणों में मिलता है लेकिन माघ मास में स्नान करने का विशेष ही महत्व है। कहते हैं जो एक बार कुंभ में डुबकी लगा ले उसकी 10 पीढ़ियों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। यहां आने वाले सभी साधू अपनी तपस्या में लीन रहते हैं और कुंभ जैसा नजारा किसी भी आयोजन में देखने को नहीं मिलता। यह एक ऐसा आयोजन है जहां हर श्रद्धालु बिना निमंत्रण के अपनी मनोकामनाएं सिद्ध करने के लिए जाते हैं और वापस आते समय एक ऐसा धार्मिक एवं आध्यात्मिक अनुभव पमे साथ लाता है जो उसे जीवन भर सुखद अनुभूति प्रदान करता है।

कुंभ में विभिन्न अखाड़ों के आने का भी रिवाज़ है। इसमें कई अखाड़े आते हैं जैसे निर्वाणी अखाड़ा जो तीसरा सबसे बड़ा अखाड़ा और शैव अखाड़ा माना जाता है, उसके बाद जूना अखाड़ा जिसमें करीब 400 साधु संत है, फिर टल अखाड़ा जिसमें करीब 700 साधु है लेकिन इसमें कोई महिला सन्यासी नहीं है यह अखाड़ा गणेश भगवान को अपना आराध्य मानता है और भाले की पूजा करता है। इसी तरह से आनंद अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा,पंच अग्नि अखाड़ा, दिगंबर अखाड़ा आदि प्रसिद्ध हैं। कुंभ मेले की एक प्रसिद्ध परंपरा है ‘कल्पवास’ अर्थात एक महीने तक गंगा तट पर रहकर नियम और संयम से ईश्वर की प्रार्थना करते हुए परमेश्वर में ही ध्यान लगाएं। इससे मन और आत्मा की शुद्धि होती है।

कुंभ में देसी पर्यटकों के साथ विदेशी पर्यटक भी आते हैं जो अपनी तरह से पूजा-पाठ करते हैं। कुंभ एक मात्र आयोजन है जिसमें धार्मिक क्रियाओं में भी हमें रचनात्मकता और सृजनात्मकता का दर्शन प्राप्त होता है।

भारत में कुंभ  की परंपरा के साथ अर्द्ध कुंभ और सिंहस्थ प्रसिद्ध है। आइए बताते हैं कि यह क्या होता है। हरिद्वार और प्रयागराज में 2 कुंभ पर्वों के बीच 6 साल का अंतर होता है। इस दौरान अर्द्ध कुंभ का आयोजन होता है। कुंभ पर्व हरिद्वार के बाद प्रयाग, नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। इसी तरह जब सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब उज्जैन में कुंभ का आयोजन किया जाता है। यह योग 12 साल में एक बार आता है, इसीलिए इसे महाकुंभ कहा जाता है। उज्जैन में इसे सिंहस्थ भी कहते हैं।

कुंभ मेले की अनुसूची

विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक है कुंभ मेला। जहां विभिन्न धर्मों के लोग पवित्र नदी में स्नान करने के उद्देश्य से एकत्रित होते हैं। इस बार यानी वर्ष 2019 में कुंभ मेला 14 जनवरी 2019 से 4 मार्च 2019 तक प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित होने जा रहा है। संगम नगरी में होने वाले इस मेले का लोगो प्रसून जोशी द्वारा तैयार किया गया है। कुंभ मेला 2019 के लिए जो स्लोगन निर्धारित किया गया है वह है, “चलो कुंभ चलो, चलो कुंभ चलो।” ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष इस मेले में लगभग 2 करोड़ लोग स्नान करने के लिए एकत्रित होंगे। आप भी तैयारी कर लीजिए इस पावन पर्व में शामिल होने के लिए और पावन नदी में डुबकी लगाने के लिए। देश भर की आस्था से जुड़ा यह महापर्व अपनी रंगत बिखेरने आने वाला है।

यह कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन से प्रारंभ होगा जब सूर्य और चंद्र वृश्चिक राशि में तथा ब्रहस्पति ग्रह मेष राशि में प्रवेश करेगा। इस संक्रांति को होने वाले योग को कुंभ स्नान युग कहा जाता है। इस दिन को विशेष और शुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन स्वर्ग का द्वार खुलता है और मान्यता है इस दिन शाही स्नान करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति या स्वर्ग जैसे लोगों की प्राप्ति होती है। कुंभ में स्नान के लिए जो 9 विशेष दिन निर्धारित किए गए हैं, वे हैं – मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, एकादशी स्नान, मोनी अमावस्या, वसंत पंचमी, रथ सप्तमी, माघी पूर्णिमा, भीष्म एकादशी और महाशिवरात्रि।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

वैसे तो पूरे कुंभ मेले का अपना अलग ही महत्त्व है लेकिन शाही स्नान के लिए निर्धारित तिथियों को जानना भी ज़रूरी है। कुंभ 2019 में ये तिथियाँ हैं महत्वपूर्ण –

  • 14-15 जनवरी 2019 – मकर संक्रांति (प्रथम शाही स्नान)
  • 21 जनवरी 2019 – पौष पूर्णिमा
  • 31 जनवरी 2019 – पौष एकादशी स्नान
  • 04 फरवरी 2019 – मौनी अमावस्या (मुख्य एवं द्वितीय शाही स्नान)
  • 10 फरवरी 2019 – बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
  • 16 फरवरी 2019 – माघी एकादशी
  • 19 फरवरी 2019 – माघी पूर्णिमा
  • 04 मार्च 2019 – महा शिवरात्रि

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