The Monk who sold his ferrari Hindi
सन्यासी जिसने अपनी सम्पति बेच दी से 7 महत्वपूर्ण सन्देश जो बदल सकते है आपकी दुनिया
यह कहानी है सफलता और समृद्धि की। कहानी एक वकील की जो उसकी सफलता से शुरू हुई और उसके व्यक्तित्व की समृद्धि पर समाप्त हुई। रॉबिन शर्मा की पुस्तक “सन्यासी जिसने अपनी सम्पति बेच दी” की कहानी का मुख्य पात्र है एक वकील जूलियन जो सफलताओं की ऊंचाइयों को छू रहा है, लाखों करोड़ों की संपत्ति है, लेकिन फिर भी जीवन में खुशी और संतुष्टि का अभाव है। जीवन की वास्तविक खुशी ढूंढने के लिए वह भारत आता है और हिमालय पर जाकर एक संत से मिलता है। वह संत उसे सच्ची खुशी का रहस्य बताता है और कहता है यह शिक्षा अपने तक सीमित ना रखकर तुम्हें सबमें बांटनी होगी। जब वह वापस आता है तो उसके जीवन से निराशा और उदासी दूर हो चुकी होती है, तब उसका दोस्त जॉन उससे पूछता है कि तुममें यह परिवर्तन कैसे आया। तब जूलियन उसे सारी कहानी बताते हुए उस संत की शिक्षा के बारे में बताता है।
आपको भी अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए उन सात मूलमंत्रों को जानने की आवश्यकता है जो आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं :-
- सकारात्मक सोच और मस्तिष्क पर नियंत्रण –
आप अपने आसपास सकारात्मकता तभी महसूस कर सकते हैं जब यह आपके भीतर मौजूद हो। अपने मस्तिष्क से निराशा, नकारात्मक सोच, और अतीत की कड़वी यादों के बोझ को हमेशा के लिए निकाल दें, इस कचरे को दिमाग में जमा ना होने दें। हर वक्त सकारात्मक सोचना ही आपकी सफलता की ऊंचाई को तय करता है। सकारात्मक विचार आपको रचनात्मकता से भी परिचित कराएंगे जो आपके जीवन को बेहतर बनाएंगे। याद रखें कि आपके जीवन की गुणवत्ता आपके विचारों की गुणवत्ता पर ही निर्भर करती है। जब आप दिमाग पर और सोच पर नियंत्रण हासिल कर लेंगे तब आपको वह ऊर्जा प्राप्त होगी जो आपके सपनों को पूर्ण करने में सहायक और जरूरी होगी। इसलिए मस्तिष्क पर नियंत्रण करना जरूर आना चाहिए।
- लक्ष्य निर्धारण और उसपर केंद्रित रहना –
लक्ष्य के बिना जीवन अधूरा होता है क्योंकि आपको पता ही नहीं होता कि आप क्यों जी रहे हैं, आपकी जिंदगी का मकसद क्या है? याद रखिए मंजिल तक पहुंचने के लिए मंजिल का होना भी जरूरी है, इसीलिए एक लक्ष्य अवश्य निर्धारित करें और उस तक पहुंचने के लिए सही रास्तों का चुनाव करें। बीच रास्ते में यदि किसी की मदद की जरूरत महसूस हो तो हिचकिचाए नहीं बल्कि खुलकर अपनी बात कहें लेकिन रुके नहीं। आपको किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य से भटकना नहीं है।
- निरंतर सुधार –
अपने डर और अपनी कमियों या कमजोरियों को पहचानें, उनका सामना करें और जल्द से जल्द उन्हें दूर करने की कोशिश करें। ध्यान रखें कि असफलता ही हमें सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। इसीलिए अपनी गलतियों से हार ना मानें बल्कि उनसे सीखें और आगे बढ़ें। ज्ञान कभी पूर्ण नहीं होता इसलिए हमेशा हर चीज से कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए।
- आत्म-संयम और अनुशासन –
सुखद जीवन के लिए चौथी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है अनुशासन और आत्म संयम। यह आपके व्यक्तित्व को मजबूती प्रदान करती है इसलिए अपने आप को अनुशासित करें और संयमित जीवन जिएं। अंदर की जिज्ञासा को कभी मरने ना दें क्योंकि यही जिज्ञासा कुछ नया करने, नया सीखने के लिए आपको हमेशा प्रेरित करेगी।
- वक़्त की कद्र करें –
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।” कबीरदास जी हमें अपने इस दोहे से सीख दे गए हैं कि जो काम कल करना हो वह आज ही कर लेना चाहिए बल्कि अभी ही कर लेना चाहिए। दोस्तों! बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता, इसलिए उसकी अहमियत समझिए और समय का सदुपयोग करें। अभी बहुत समय है, अभी बहुत समय है यही सोचते-सोचते हम अपना कीमती समय बिता देते हैं। सबसे पहले तो काम को टालने की बुरी आदत से बचें क्योंकि इससे आप अपना काफी समय बर्बाद कर देते हैं। प्राथमिकताएं तय करें और उसी अनुसार अपना हर काम करें।
- सकारात्मक व्यक्तित्व रखें –
बुरे वक्त में अगर कोई चीज काम आती है तो वह है आपका सकारात्मक व्यक्तित्व। हमेशा याद रखें कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, सकारात्मक सोचना शुरू करें। जो बीत गई वो बात गई लेकिन आज का समय केवल आपका है, इस पर केवल आपका ही नियंत्रण है। साथ ही स्वार्थ की भावना से बचते हुए दूसरों की भी मदद करी करें। दूसरों की मदद करके जिस खुशी और संतुष्टि का अनुभव आप करेंगे, वह लाखों रुपयों की कमाई से भी बढ़कर होगा।
- अपने आज को भरपूर जिएं –
यकीन मानिए छोटे-छोटे पलों में खुशियां ढूंढ लेंगे तो ही बड़ी खुशियां प्राप्त कर पाएंगे। हर पल में कुछ नया ढूंढ़ें, हर पल को ज़िंदादिली से जिएं और हर पल का जश्न मनाएं। चाहे वह दोस्तों से साथ घूमने हो, पत्नी के साथ चाय पे गपशप हो या प्रेमिका के साथ रूठना-मनाना हो, हर वक्त को एन्जॉय करें। आज के बिताए हुए खुशनुमा पल ही भविष्य की सुनहरी यादें बनकर हमें खुश करते हैं। अपनी खुशियों को दीपक कि वह लौ मानिए जिसे आपको बुझने नहीं देना है। ध्यान रखें कि हमारी खुशियों की चाबी केवल हमारे पास होती है। असफलताओं से शिक्षा लेकर, कड़वे अनुभव को शिक्षक मानकर, दिल में केवल अच्छी यादें बसा कर बस आगे बढ़ते जाइए।
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