नवरात्री कन्या पूजा विधि और तरीके । क्यों करते है कन्या पूजा?

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नवरात्री हिन्दू धर्म का बेहद खास त्यौहार है। इसमें माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और नवरात्री कन्या पूजा की जाती है। वैसे तो पूरे साल में चार बार नवरात्री आती है। लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्री का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्री बसंत ऋतु में मनाई जाती है। इस समय गर्मियों की शुरुआत होती है और सर्दियों का अंत हो रहा होता है। नवरात्री के नौ दिनों में मां दुर्गा को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि के रूप में पूजा जाता है। नवरात्री में माँ के रूपों की पूजा के साथ-साथ नवरात्री कन्या पूजा का भी विशेष महत्व है।

कई लोग इन नौ दिनों में माँ का उपवास करते हैं। वहीं कई लोग केवल एक दिन माँ के लिए व्रत रख कर माँ की पूजा करते हैं। नवरात्री के आठवें या नौवे दिन, नवरात्री कन्या पूजा की जाती है। जिसे कंजक पूजा या कन्या पूजन भी कहा जाता है। अगर आप भी माँ के भक्त हैं और नवरात्री में माँ दुर्गा पूजा करना चाहते हैं। तो न जानिए नवरात्री पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi) और तरीके। इसके साथ ही जानिये, क्यों करते है कन्या पूजा?

नवरात्री कन्या पूजा विधि और तरीके

नवरात्री के दौरान कुछ लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजा और कन्या भोज का आयोजन करते हैं, जबकि कुछ लोग नवमी के दिन। पुराणों के मुताबिक अष्टमी का दिन इसके लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है।


कंजक पूजन विधि

कंजक पूजन विधि (kanjak puja Vidhi) इस प्रकार है

नवरात्री के दौरान कन्या पूजा के लिए एक दिन पहले ही कुछ कन्याओं को आमंत्रित कर लेना चाहिए। जिस दिन पूजा हो, आदर सहित कन्याओं को अपने घर ले कर आएं। कन्याओं के बैठने, उनके प्रसाद और भोजन की पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए। जैसे ही कन्याएं आपके घर पर आएं, वैसे ही उनका स्वागत फूलों से करें। सभी कन्याओं को अपने-अपने आसनों पर बिठा दें। अब पानी भरे थाल में उनके पैरों और हाथों को धोना चाहिए।

इसके बाद सभी कन्याओं के माथे पर कुमकुम और फूलों का टीका लगाएं और हाथों में रोली बांधें। सभी कन्याओं को माँ दुर्गा का रूप मान कर उनकी आरती करें। नवरात्री भजन और नवरात्री पूजा मन्त्र (Navratri Puja Mantra) का जाप करें। उन्हें चुनरी या वस्त्र अर्पित करें। अब इन कन्याओं को भोजन कराएं। अंत में उन्हें कोई उपहार और दक्षिणा देकर उनके पैरों को छुएं व उनका आशीर्वाद लें।

कन्या पूजन ये दौरान बरते सावधानियां

नवरात्री के नौ दिन विधि-विधान से माँ दुर्गा पूजा (Maa Durga Pooja) करके माँ का आशीर्वाद मिलता है। इन दिनों माँ दुर्गा पूजा मंत्र (Maa Durga Pooja Mantra) का जाप करके और अन्य लोगों को नवरात्री भोजन करा कर माँ दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है। माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए माँ दुर्गा पूजा विधि (Maa Durga Pooja Vidhi in Hindi) भी बेहद सरल है। लेकिन अगर आप कुछ खास न कर के केवल कन्या पूजन ही करें। तब भी आप माँ दुर्गा का आशीष प्राप्त कर सकते हैं।

कन्या पूजन के लिए जिन कन्याओं को बुलाया जाता है, उनकी संख्या नौ या इससे अधिक होनी चाहिए। इसके साथ ही एक बालक भी पूजा में होना चाहिए। एक बालक के बिना भी यह पूजा पूरी नहीं होती। जिन कन्याओं को पूजा के लिए बुलाया जाता है, उनकी उम्र दस साल से कम होनी चाहिए। उम्र के अनुसार कन्याओं को पूजने का भी अलग महत्व है।

जैसे दो साल की आयु की कन्या को पूजने से हर दुःख, दर्द से छुटकारा मिलता है। तीन साल के उम्र की कन्या को पूजने से घर में किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। चार साल की उम्र की कन्या को पूजने से कल्याण होता है। पांच साल की कन्या को पूजने से हर बीमारी से छुटकारा मिलता है। छः साल की उम्र की कन्या को पूजने से शिक्षा और हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। सात साल की कन्या की पूजा करने से मान-सम्मान बढ़ता है। आठ साल की कन्या की पूजा करने से विजय मिलती है।  नौ साल की कन्या के पूजन से दुश्मनों का नाश होता है और मुश्किल से मुश्किल काम भी सफलतापूर्वक पूरा होता है। दस साल की कन्या को पूजने से हर मनोकामना पूरी होती है।


कन्या पूजा

क्यों करते है कन्या पूजा

नवरात्री पूजा(Navratri Puja) के दौरान कन्या पूजन(kanya puja) बेहद महत्वपूर्ण है। कन्या पूजन के बाद ही भक्त अपना उपवास और पूजा पूरा करते हैं। कन्या पूजा विधी(kanya pooja vidhi) भी बेहद आसान है। ऐसा कहा जाता है कि कन्या पूजन(kanya pujan) और कन्या भोज(kanya bhoj) से माँ दुर्गा अपने भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। कन्या पूजन कैसे शुरू हुआ, इसके बारे में एक कथा प्रचलित है।

नवरात्री पूजा

ऐसे शुरू हुआ कन्या पूजन

कथा के अनुसार एक बार जम्मू के कटरा के पास श्रीधर नाम का व्यक्ति रहता था। वो माँ वैष्णों का परम् भक्त था। श्रीधर निसंतान और बेहद निर्धन थे। नवरात्री के दिन उन्होंने कन्याओं को पूजा के लिए बुलाया। कन्याओं के साथ माँ वैष्णो भी श्रीधर के घर आयी। सभी कन्याएं पूजा के बाद वापस चली गयी। लेकिन माँ वैष्णों नहीं गयी। श्रीधर की भक्ति देख माँ वैष्णो बेहद प्रसन्न थी। कन्या रूप में माँ दुर्गा ने श्रीधर को एक भंडारे का आयोजन करने के लिए कहा। माँ के कहे अनुसार श्रीधर ने वही किया।

वैष्णो माँ की कृपा से श्रीधर ने सैंकड़ों लोगों को भोजन कराया। श्रीधर से प्रसन्न हो कर माँ ने श्रीधर को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्हें अपना मंदिर बना कर पूजा करने के लिए कहा। इसके बाद माँ वैष्णो से भैरवनाथ का वध भी किया। आज भी वैष्णो माँ का मंदिर हिन्दू धर्म के मुख्य तीर्थ स्थानों में से एक है।

ऐसा माना जाता है कि इसके बाद से ही कंजक पूजा(kanjak puja) आरम्भ हुई। जो भी नवरात्री पूजा(Navratri Pooja) व कन्या पूजा विधी-विधान से करता है, उसे माँ की पूरी कृपा प्राप्त होती है। इस बार चैत्र मास के नवरात्रे 6 अप्रैल से शुरू हो कर 14 अप्रैल तक हैं। उत्तर भारत जैसे हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में नवरात्रे बहुत ही अधिक धूमधाम से मनाये जाते हैं।