Eco-Friendly Diwali 2019
दिवाली यानि रोशनी का त्यौहार भारत की भूमि पर मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। इसीलिए इस दिन लोग दीयों, रंगीन लटकानों, बाजार से आने वाली झालरों और लड़ियों से घर से जाते हैं। बच्चों और युवाओं के बीच पटाखे, बम व आतिशबाजियों को जलाने का जोश देखा जाता है।
दिवाली 2019 स्पेशल: इस दिवाली जलाएं ग्रीन पटाखे, इको फ्रेंडली ग्रीन पटाखे
यह उनका खुशी मनाने का अपना अनोखा तरीका है। लेकिन पटाखों के बढ़ते उपयोग से देश में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, चाहे वह वायु प्रदूषण हो या ध्वनि प्रदूषण। चार साल पहले दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर सेफ मार्क से 30 गुणा अधिक हो गया था।
ग्रीन पटाखे
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखों पर बैन लगाने का निर्णय लिया था। लेकिन त्यौहार से जुड़ी लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए 8 से 10 मात्र 2 घंटों के लिए पटाखे जलाने की अनुमति प्रदान कर दी गई। इसके साथ ही इको फ्रेंडली ग्रीन पटाखों का ही उपयोग करने की साफ़ हिदायत दी गई है। अब आपके मन में अगर यह प्रश्न उठा रहा है कि ग्रीन पटाखे क्या होते हैं तो इसका उत्तर भी हम आपको देंगे।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
अगर पटाखे जलाने ही हैं तो ग्रीन पटाखे एक बेहतर विकल्प है। ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही दिखते हैं, जलते हैं और आवाज भी ऐसी ही होती है। लेकिन इनकी खास बात है कि इन से प्रदूषण कई गुना कम होता है। ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस छोड़ते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह पटाखे प्रदूषण फैलाते ही नहीं लेकिन इनसे होने वाला प्रदूषण बहुत कम हद तक होता है। जब हम सामान्य पटाखे जलाते हैं तो नाइट्रोजन कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर गैस बहुत भारी मात्रा में निकलती हैं, लेकिन ग्रीन पटाखे के साथ ऐसा नहीं है और उनकी आवाज भी कानों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाती है। तो क्यों न इस बार हम भी घर लाएं ग्रीन पटाखे और मनाए एक फ्रेंडली दिवाली।
मनाएं प्रदूषण रहित दिवाली
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हम सभी को संकल्प लेना होगा कि इस बार हम एक प्रदूषण रहित यानी इको फ्रेंडली दिवाली मनाएंगे। फुलझड़ी जैसे पटाखे जलाना अच्छा रहेगा जो बेहद कम प्रदूषण करते हैं, साथ ही सबसे सुंदर रोशनी देते हैं। बच्चों के लिए जो सांप की टिकिया आती है, एक फुलझड़ी उससे भी कम प्रदूषण करती है। सुरक्षा के लिहाज से भी फुलझड़ी किसी लड़ी या बम से बेहतर होती है। इसलिए इस बार दीया और फुलझड़ियों के साथ दिवाली मनाते हुए खुशियां बांटे।
धमाके नहीं, सिर्फ एक फ्रेंडली दिवाली | Eco Friendly Diwali 2019
आज तक दिवाली पर जो पटाखे छोड़े जाते थे उनका साउंड 80 डेसिबल से अधिक होता था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है एक आम आदमी 60 डेसिबल से अधिक साउंड को नहीं सह सकता है। इसीलिए इस बार पटाखों के धमाकों पर भी रोक लगाई गई है यानी अगर पटाखों के साउंड की क्षमता 60 डेसिबल से अधिक है, तो उनपर इस दिवाली बैन लगा दिया गया है।
तो इस बार हम भी घर लाएं इको फ्रेंडली ग्रीन पटाखे और शोर-शराबे से दूर दोस्तों के साथ मनाएं एक फ्रेंडली दिवाली।