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MOST POWERFUL CHANT OF KAALA BHAIRAV - Kaal Bhairav Ashtakam

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Vaaruni Agarwal
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Published on 25 Dec 2018 / In Satsang

देव राजसे व्यमान पावनांघ्रि पङ्कजं
व्याल यज्ञ सूत्र मिन्दु शेखरं कृपा करम् ।
नार दादियो गिवृन्द
वन्दितं दिगंबरं
काशि कापुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥१॥

भानु कोटि भास्वरं भवा ब्धिता रकं परं
नीलकण्ठ मीप्सि तार्थ दायकं त्रिलोचनम् ।
काल काल मंबु जाक्ष मक्ष शूल मक्षरं
काशि कापु राधि नाथ काल भैरवं भजे ॥२॥

शूल टङ्क पाश दण्डपाणि मादिका रणं
श्याम कायमादि देव मक्षरं निराम यम् ।
भीम विक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं
काशिका पुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥३॥

भुक्ति मुक्ति दायकं प्रशस्त चारु विग्रहं
भक्त वत्सलं स्थितं समस्त लोकविग्रहम् ।
विनि क्वणन्मनो ज्ञहे मकि ङ्किणी लस त्कटिं
काशिका पुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥४॥

धर्म सेतु पालकं त्व धर्म मार्ग नाशकं
कर्म पाश मोचकं सु शर्म दायकं विभुम् ।
स्वर्ण वर्ण शेष पाश शोभिताङ् गमण्डलं
काशिका पुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥५॥

रत्न पादुका प्रभा भिराम पादयुग्मकं
नित्यम द्वितीय मिष्ट दैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्प नाशनं कराल दंष्ट्र मोक्षणं
काशिका पुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥६॥

अट्ट हास भिन्न पद्म जाण्ड कोश संततिं
दृष्टि पात नष्ट पाप जाल मुग्र शासनम् ।
अष्ट सिद्धि दायकं कपाल मालिकाधरं
काशि कापुराधि नाथ काल भैरवं भजे ॥७॥

भूत संघ नायकं विशाल कीर्ति दायकं
काशि वास लोक पुण्य पाप शोधकं विभुम् ।
नीति मार्ग कोविदं पुरा तनं जगत्पतिं
काशि कापुराधि नाथ कालभैरवं भजे ॥८॥

काल भैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञान मुक्ति साधनं विचित्र पुण्य वर्धनम् ।
शोक मोह दैन्य लोभ को पताप नाशनं
प्रयान्ति काल भैरवां घ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥९॥

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