Immunity Boosters

Volgende


Bajrangbali Hanuman Birth Story

230 Bekeken
Purvi Aggarwal
2
gepubliceerd op 09 Jun 2020 / In Komedie

⁣पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं। एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। इससे गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें वानरी हो जाने का शाप दे दिया। पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया। कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।

एक बार घूमते हुए वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के निकट पहुंचे। उन्होंने देखा कि बहुत-से ऋषि वहां आए हुए हैं। कुछ साधु किनारे पर आसन लगाकर पूजा अर्चना कर रहे थे। उसी समय वहां एक विशाल हाथी आ गया और उसने ऋषियों को मारना प्रारंभ कर दिया। ऋषि भारद्वाज आसन पर शांत होकर बैठे थे, वह दुष्ट हाथी उनकी ओर झपटा। पास के पर्वत शिखर से केसरी ने हाथी को यूं उत्पात मचाते देखा तो उन्होंने बलपूर्वक उसके बड़े-बड़े दांत उखाड़ दिए और उसे मार डाला। हाथी के मारे जाने पर प्रसन्न होकर ऋर्षियों ने कहा, 'वर मांगो वानरराज।' केसरी ने वरदान मांगा, ' प्रभु , इच्छानुसार रूप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र आप मुझे प्रदान करें।' ऋषियों ने 'तथास्तु' कहा और वो चले गए।

आइये जानते हैं पूरी कहानी |


Credit/Source:- ⁣https://www.youtube.com/watch?v=fcmsXZ9k9ho

Laat meer zien
0 Comments sort Sorteer op

Facebook Reacties

Volgende