राधा कृष्णा की प्रेम कहानी | Radha Krishna ki prem kahani | Krishna Love Story | BeautyofSoul
भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं में सबसे सुंदर प्रसंग राधा कृष्ण के मिलन और प्रेम का है। ऐसे में जन्माष्टमी के मौके पर इनकी लीलाओं की झलक न हो तो भक्ति का आनंद अधूरा सा लगेगा।
इसलिए आइए देखें भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा की लीलाओं को जानें कहां-कहां कैसे मिले थे राधा कृष्ण।
ज्यादातर राधा कृष्ण जी के मिलन के बारे में चर्चा नहीं होती अगर चर्चा किया भी जाता है तो दोनों के अटूट प्रेम की।
कथा मिलती है कि श्री राधा रानी की कान्हा से पहली मुलाकात तब हुई थी जब वह स्वयं 11 महीने की थीं। तब श्रीकृष्ण महज एक दिन के थे, उस समय उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा था।
कहा जाता है कि उस समय राधाजी अपनी मां कीर्ती के साथ नंदगांव आई थीं। तब वह अपनी माता की गोद में थीं और कन्हैया पालने में।
गर्ग संहिता में उल्लेख मिलता है कि जन्मोत्सव के बाद कान्हा दूसरी बार राधाजी से तब मिले तब वह अपने पिता नंद बाबा के भांडीर वन से गुजर रहे थे। उसी समय नंदबाबा
जी के सामने एक दिव्य ज्योति प्रकट हुई जो स्वयं श्री राधारानी थीं। उन्होंने नंदबाबा से कहा कि वह कन्हैया को उन्हें दे दें। तब नंदबाबा ने कान्हाजी को राधा रानी की गोद में डाल दिया। यह
मुलाकात लौकिक नहीं बल्कि अलौकिक थी।
ऐसा माना जाता है कि राधा और कृष्ण जी आत्मा से एक दुसरे से जूड़े हुए थे। आज जब भी कृष्ण जी का नाम लेते हैं तो राधा का ख्याल ज़रुर आता है। कहीं कहीं यह भी कहा जाता है कि
राधा और कृष्ण एक ही रुप थे। आगे जाकर राधा और कृष्ण जी की एक दुसरे से शादी तो नहीं हो पाई लेकिन दोनों के बीच प्रेम बरकरार रहा। राधा और कृष्ण जी एक दुसरे के ह्रदय में बसे
थे, यह बाद कृष्ण जी की पत्नी रुक्मिणी भी जानती थी, क्योंकी कृष्ण जी ने यह बात रुक्मिणी को बताई थी, जब एक बार राधा कृष्ण जी से मिलने आईं थीं। तब रुक्मिणी जी ने गरम दूध राधा के
लिए लाई और जब राधा ने उसे पिया तो कृष्ण जी के शरीर पर फफोले निकल आए थे।
एक बार की बात है जब राधा ने कृष्ण जी से शादी के लिए पूछा तो कृष्ण जी ने जवाब दिया की क्या कभी कोई अपनी ही आत्मा से कोई शादी करता है, लेकिन राधाकृष्ण के बीच इतना प्यार होते
हुए भी शादी नहीं हो पाई।
कृष्ण जी राधा को एक महल दिया था जहां राधा रह सकें लेकिन राधा महल छोड़ कर हमेशा के लिए चली गईं। यह बात कृष्ण जी पहले से जानते थे। राधा जब अपने जीवन में अकेली पड़ गयी
तब उन्होंने कृष्ण जी को याद किया, उस समय राधा अपनी आखिरी सासें ले रहीं थीं। तभी कृष्ण जी भी वहां पहुंच कर राधा जी को दर्शन दिया और राधा ने अपनी ख्वाहिश रखते हुए कृष्ण जी
से बांसुरी बजाने को कहा, फिर कृष्ण जी एक मधुर आवाज़ में बासुरी बजाई फिर राधा ने बासुरी को सुनते हुए अपने प्राण त्याग दिए, फिर कृष्ण जी को इतना दुख हुआ कि उन्होंने बांसुरी को
तोड़ कर फेंक दिया।
आज भी भले ही राधा और कृष्ण एक दुसरे से शादी नहीं की लेकिन दोनों को एक ही रुप में याद किया जाता है, राधा कृष्ण ।
लेकिन यह भी यह ज़रुर सबके मन में बात आती है की राधा और कृष्ण जी की शादी क्यों नहीं हो पाई, ऐसी क्या वजह थी, ये बात जानेंगे अगले विडियो में,
श्री कृष्ण जन्मास्टमी के लिए आपको बहोत बहोत शुभकामनाएं ।
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