मनिहारी का वेश बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया । Manihari Ka Vesh Banaya Krishna Bhajan with Lyrics
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
झौली कंधे धरो, उसमे चूड़ी भरी
गलियों में शोर मचाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा ने सुनी ललिता ने कही, मोहन को तुरन्त बुलाया।
श्याम चूड़ी बेचने आया, छलिया का भेष बनाया ।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
चूड़ी लाल नहीं पहनू,चूड़ी हरी नहीं पहनू
मुझे श्याम रंग है भाया, श्याम चूड़ी बेचने आया,
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा पहनन नहीं, श्याम पहेनाने लगे,
राधा ने हाथ बढाया, श्याम चूड़ी बेचने आया,
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा कहने लगी, तुम हो छलिया बड़े,
धीरे से हाथ बढाया,श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।
मनहारी का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेष बनाया , श्याम चूड़ी बेचने आया।