दशामाता व्रत 2019| दशा माता पूजा मुहूर्त समय व्रत कथा| Dasha Mata Vrat 2019| दशा माता पूजन सामग्री|
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दशामाता व्रत 2019| दशा माता पूजा मुहूर्त समय व्रत कथा| Dasha Mata Vrat 2019| दशा माता पूजन सामग्री|
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दशामाता का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति का बुरा समय दूर हो जाता है तथा अच्छा समय आ जाता है। इस व्रत को 2019 में शनिवार (30 मार्च) को मनाया जाएगा। माना जाता है जब व्यक्ति की दशा ठीक होता है तो उसके सभी कार्य सफल होने लगते हैं, लेकिन जब व्यक्ति की दशा खराब होती है उसके कार्य में बाधा आने लगती है। इसलिए चैत्र मास की दशमी को दशामाता का व्रत किया जाता है जिससे व्यक्ति के जीवन में चल रहा बुरा समय दूर हो सके।
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पहले जाने इस व्रत की पूजा विधि
अगर आप पहली बार पूजा कर रहे है तो घर के किसी कोने में साफ सफाई करके एक दीवार पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद स्वास्तिक के पास 10 बिंदियां बनाएं। पूजा में रोली, मौली , सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप आदि शामिल करें। इसके अलावा सफेद धागा लें और उसमे गांठ बना लें। फिर उसे हल्दी में रंग लें। इस धागे को दशामाता की बेल कहा जाता है। दशामाता की पूजा के बाद इस धागे को गले में धारण करें। इस धागे को पूरे साल ना उतारें। अगर आपको पूजा करते हुए एक वर्ष या उससे अधिक समय हो गया है तो जब दशामाता की पूजा करें तो पुराने धागे को उतारकर नया धागे धारण करें। दशमाता की पूजा विधि विधान से करने पर मनुष्य का बुरा समय दूर हो सकता है तथा दशमाता की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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ये रहती है पूजा सामग्री
पूजा सामग्री में रोली, मौली , सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप आदि का इंतजाम कर लें। साथ में सफेद धागा लें और उसमे गांठ बना लें। फिर उसे हल्दी में रंग लें। इस धागे को दशमाता की बेल कहते हैं। पूर्व के वर्ष की बेल को पीपल में बांधा जात है व महिलाएं नई बेल लेकर अपने घर में आती है। इसकी पूजा के साथ में ही करके इसे गले में धारण करें। इसे फिर पुरे साल कभी न उतारें। अगले साल जब फिर पूजा करें तो इसे उतारकर नए धागे की पूजा करके धारण करें। दशमाता की पूज