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दुर्गा पूजा, नवरात्र एक साथ क्यों मनाते हैं? Why Durga Puja and Navratra comes together?

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Published on 14 Oct 2020 / In Festivals & Events / Durga Puja

दुर्गा पूजा, नवरात्र एक साथ क्यों मनाते हैं, दुर्गा पूजा के दौरान मांस मछली खाने की परंपरा क्या है?
यहां जाने दुर्गा पूजा, नवरात्र एक साथ क्यों मनाते हैं, दुर्गा पूजा के दौरान मांस मछली खाने की परंपरा क्या है?
दुर्गा पूजा और नवरात्र के कुछ हैरान कर देने वाले तथ्य, दोनों त्योवहारों को एक साथ क्यां मनाते हैं?
नवरात्र और दुर्गा पूजा में खास अंतर, दुर्गा पूजा में चिकन खाने की परंपरा क्या है?

नवरात्र और दुर्गा पूजा दोनों ही त्योवहार लगभग एक साथ ही मनाएं जाते हैं। लोग अपनी अपनी मान्यताओं के हिसाब से पूजा करते हैं। इस दौरान दो तरह के लाग आते हैं
एक वो जो दुर्गा पूजा को धुमधाम से मनाते हैं खास कर बंगाल में इसकी मान्यता बहुत है, और पूजा के दौरान मांस, मछली का सेवन करते हैं। दुसरी ओर वो लोग आते हैं जो 9 दिनों तक
चलने वाले त्योवहार, नवरात्र जिसमें मांस, मछली खाना वर्जित होता है। आखिर इस त्योवहार में एक ही देवी को पूजने के दौरान इतनी भिन्नता के साथ कैसे मनाया जाता है आइये इसे जानें।

खान-पान का अंतर

नवरात्र और दुर्गा पूजा एक साथ मनाया जाने वाला त्योवहार, इसमें सबसे बड़ा अंतर हमें खान पान में देखने को मिलता है। नवरात्र में मांस मछली यहां तक की लहसुन प्याज को नहीं खाया
जाता है और नौरात्र में नौ दिनों तक सात्विक जिवन और उपवास रखना होता है।
वहीं दुसरी ओर बंगालियों में मनाया जाने वाले त्योवहार दुर्गा पूजा में जितने प्रकार का भोजन खा सकें तो खाईए, ज्यादातर लोग मांस मछली, एग रोल, कटलेट, मिश्टि
का सेवन ज्यादा करते हैं, वेज, नोन वेज देनों तरह के भोजन होते हैं। इसके पिछे का कारण मिथिकिय है। यहां यह कहानी है, जब माता अपने मायके अपने बच्चों के साथ गयीं थी
तो उनके मायके में स्वागत पर ढोल, नृत्य या नाच किया गया इसी दौरान तरह तरह के व्यंजन बने जिसमें मांस मछली भी शामिल थीं।
दूसरा, कुछ खास समुदायों का मानना थी कि दूर्गा माता को बलि देना चाहिए, लोगों का मानना था कि दुर्गा और चांडिका शराब और मांस का शौक था, इसलिए उन्हें खुश करने
के लिए वे लोग मांस और बलि उन्हें चढ़ाते थे।

नवरात्री और दु्र्गा पूजा मनाने का कारण

दुर्गा पूजा पार्वती जो की भगवान शिव जी की पत्नी हैं, अपने बच्चों के साथ वो अपने ससुराल यानी कैलाश से पांच दीन के लिए मायके जाने की खुशी है। बेटी अपने मायके आई है इसी खुशी में लोग
नए कपड़े पहन कर गाना, नाच करते हैं और खुशीयां मनाते हैं।
वहीं दुसरी ओर नवरात्र जिसमें मां दुर्गा और महिशासुर के बीच चली नौ दिनों की लड़ाई है। इस दौरान माना जाता है महिशासुर से लड़ने के लिए देवी को तपस्या, उपवास, हवन द्वारा ताकत देने की
कहानी है। मान्यता है की ये चिजें करने से माता को और शक्ति मिलेगी और माता महिशासुर को हरा देंगी।

नवरात्र और दुर्गा पूजा कब मनाते हैं

नवरात्र नौ दिन का मनाया जाने वाला त्योवहार है यह प्रथमा से शुरु होती है और नवमी तक चलती है, वहीं आखिरी दिन कन्याओं को भोजन कराते हैं, और नवरत्री साल में दो बार मनाई जाती है
एक चैत्र में और एक शारदीय के समय।
वहीं दुर्गा पूजा साल में 1 ही बार मनाते हैं जो शारदीय के समय मनाते हैं, यह पूजा पूरे पांच दिनों तक चलती है षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा करने के तरीके

दुर्गा पूजा मुख्य चीजें जो बाकी जगहों पर देखने को नहीं मिलेंगी। एक है ढाक- ढाक एक तरह का ढोल है जो पंजाबी ढोल से मिलती जुलती है, लेकिन इस ढोल की बनावट एकदम
अलग तरह का होता है इसके बजाने के तरीके में एक लय होता है जिसपर आरती की जाती है, और नृत्य या डांस किया जाता है इसे धुनुची कहते हैं, और इस दौरान इक खप्पर में आग लगाकर
जिसमें से धंआ निकलता है उसको लेकर यह आरती की जाती है।
दुसरी चीज है, संधी पूजा जिसमें कई सारे एक साथ दिए जलाए जाते हैं
एक और अलग चिज है जो नवरात्र से दुर्गा पूजा अलग होता है वो है, भगवान गणेश जी की शादी, इसमें भगवान गणेश की शादी एक केले के पत्ते के साथ की जाती है।
वहीं उत्तर भारत में केले को भगवान विश्णु का प्रतीक माना जाता है, और वहीं बंगाल में भगवान गणेश की शादी केले के पेड़ से की जाती है। केले के पेड़ को साड़ी पहनाकर
भगवान गणेश जी के पास रखकर पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा में सबसे अहम चिज होता है वो है सुंदरीयां जो लाल और सफेद साड़ी पहन कर डांस या आरती कर रही होती हैं। बंगाल में इस तरह का साड़ी पहनने का तरीका होता है जो देशभर
में पसंद किया जाता है, यह लिवाज बंगाल की पहचान है। लोग इसे भी देखने जाते हैं।

तो ये थीं नवरात्री और दुर्गा पूजा में खास अंतर, भारत विविधताओं का देश है और हर एक राज्यों की अपनी अपनी पहचान है। कई लोग इन दोनों त्योवहारों में अंतर नहीं समझ पाते हैं चूकी यह
त्योवहार एक साथ ही मनाए जाते हैं, तो ये थीं कुछ खास अंतर जहां पूजा एक ही देवी की होती है लेकिन अलग अलग मान्याएं हैं। एक बार आप दोनों ही त्योवहारों को जरुर नजदीक से देखिए

दुर्गा पूजा और नवरात्री की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं........धन्यवाद

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