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केवल राम ही नहीं, बल्कि इन 6 वजहों से भी मनाई जाती है दिवाली

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diwali

दिवाली भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। दिवाली क्यों मनाई जाती है इस प्रश्न के जवाब में अक्सर हमें यही सुनने को मिलता है कि इस दिन श्री राम लंकापति रावण का वध करके अयोध्या वापस आए थे। उन्हीं के आने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था और तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।

हम दीवाली क्यों मनाते हैं

लेकिन भारत में इसके अलावा भी कई विशेष कारण हैं, दिवाली के त्यौहार को मनाने के। दिवाली पर अपने आराध्य की पूजा करना, घरों की सफाई करना, स्वादिष्ट व्यंजन बनाना, रंगोली बनाना, और अपनों में प्यार बाँटना, यही इस त्यौहार की परंपरा है। आज हम आपको इस लेख में दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसके कुछ और कारण बताएंगे जो दिवाली के दिन को खास बनाते हैं।

श्री कृष्ण की नरकासुर पर विजय – एक समय की बात है जब नरकासुर नामक राक्षस ने 16,000 स्त्रियों का अपहरण कर लिया था। यह घटना दिवाली से एक दिन पहले की है। तब श्री कृष्ण ने नरकासुर को मारके सभी स्त्रियों को मुक्त किया और उनसे विवाह भी किया। इसीलिए कृष्ण भगवान के भक्त दिवाली का पर्व इसी ख़ुशी में मनाते हैं।

भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार और लक्ष्मी पूजन का दिन – हिरण्यकश्यप की पौराणिक कथा हम सबने सुनी है जिसके पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। जब हिरण्यकश्यप के अत्याचार बढ़ते गए तो प्रह्लाद के पुकारने पर भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और धन्वंतरि जी प्रकट हुए। इसीलिए यह लक्ष्मी पूजन का दिन माना जाने लगा।

सिक्खों के लिए भी यह खुशी का पर्व – दिवाली के ही दिन सिक्ख समुदाय अपने तीसरे गुरु अमरदास जी का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं। कार्तिक अमावस्या के ही दिन सन् 1577 में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था और इसी दिन इनके छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था। इसीलिए यह दिन सिक्खों के लिए भी हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

जैन धर्म की स्थापना का दिन – दिवाली के दिन का जैन धर्म में भी विशेष महत्व है।  इस दिन को आधुनिक जैन धर्म के स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा भी कहते हैं कि दिवाली का दिन जैनियों के लिए इसीलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन इनको निर्वाण प्राप्त हुआ था।

आर्य समाज के लिए खास दिन – दीपावली के शुभ अवसर पर आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद ने भारतीय संस्कृति को सर्वोपरि मानते हुए यहां के महान जननायक बनकर इसी दिन अजमेर के पास अवसान लिया था।

मुगल शासक अकबर के समय में उनके दौलत खाने के सामने 40 गज ऊँचे बांस पर एक बहुत बड़े आकार का दीपक जलाकर लटकाया जाता था। इसी दिन शाह आलम द्वितीय के समय में दीपों से शाही महल को दुल्हन की तरह सजाया जाता था और पूरा भारतवर्ष खुशी के साथ यह त्यौहार मनाता था। हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे से गले मिलते थे और खुशियां बांटते थे।

पौराणिक समय से मनाई जाती है दिवाली – हमारा इतिहास बताता है कि 500 ई0 पू0 में मोहनजोदड़ो सभ्यता की खुदाई के दौरान मिट्टी की एक ऐसी मूर्ति मिली थी जिसमें देवी के दोनों हाथों में दीप जलते हुए दिखते थे। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दीपावली का त्यौहार कितना प्राचीन और खास है।

कारण चाहे कोई भी हो लेकिन दीपावली का पर्व हर धर्म, हर राज्य के लिए खुशियां ही लेकर आता है। अब इस त्यौहार को भारत के अलावा अन्य कई देशों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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