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संकटमोचन हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak with Lyrics | Bada Mangal Special

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Vaaruni Agarwal
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Published on 21 May 2019 / In Festivals & Events

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों I
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो I
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो I को - १
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो I
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो I
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो I को - २
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को - ३
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो I
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को - ४
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो I
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो I को - ५
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो I
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो I को - ६
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो I
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को - ७
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो I
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो I को - ८
दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर I
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर

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