महामृत्युंजय मंत्र वेदों में सबसे पुराने मंत्रों में से एक है, जो सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र है !
महामृत्युंजय मंत्र वेदों में सबसे पुराने मंत्रों में से एक है, जो सबसे शक्तिशाली शिव मंत्र है।महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मंत्र जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है।
यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है|
मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृत:।
जप करने कि विधि:-
सुबह और सायं काल में प्रायः अपेक्षित एकांत स्थान में बैठकर आंखों को बंद करके इस मंत्र का जाप (अपेक्षित दस-ग्यारह बार) करने से मन को शांति मिलती है और मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
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Credit/Source:- https://www.youtube.com/watch?v=Id4BUxL6L5g