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भगवान शिव को क्यों प्रिय है भस्म?

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Purvi Aggarwal
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पर प्रकाशित 07 Apr 2020 / में आध्यात्मिक

भगवान शिव अद्भुत व अविनाशी हैं। भगवान शिव जितने सरल हैं, उतने ही रहस्यमयी भी हैं। भोलेनाथ का रहन-सहन, आवास, गण आदि सभी देवताओं से एकदम अलग हैं। शास्त्रों में एक ओर जहां सभी देवी-देवताओं को सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित बताया गया है, वहीं दूसरी ओर भगवान शिव का रूप निराला ही बताया गया है। शिवजी सदैव मृगचर्म (हिरण की खाल) धारण किए रहते हैं और शरीर पर भस्म (राख) लगाए रहते हैं।

शिवजी का प्रमुख वस्त्र भस्म यानी राख है, क्योंकि उनका पूरा शरीर भस्म से ढंका रहता है। शिवपुराण के अनुसार भस्म सृष्टि का सार है, एक दिन संपूर्ण सृष्टि इसी राख के रूप में परिवर्तित हो जानी है। ऐसा माना जाता है कि चारों युग (त्रेता युग, सत युग, द्वापर युग और कलियुग) के बाद इस सृष्टि का विनाश हो जाता है और पुन: सृष्टि की रचना ब्रह्माजी द्वारा की जाती है। यह क्रिया अनवरत चलती रहती है। इस सृष्टि के सार भस्म यानी राख को शिवजी सदैव धारण किए रहते हैं। इसका यही अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जानी है।


आइए जानते है शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर भस्म क्यों अर्पित की जाती है…।


Credit/Source:- ⁣https://www.youtube.com/watch?v=PCygaIuiFRg

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