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भगवान राम का प्रायश्चित | RamnathSwami, SiddhiVinayak, KedarNath | क्या आप जानते है? - Episode 4

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gepubliceerd op 17 Jun 2020 / In Muziek

जैसा कि हमने पहले भाग में कुछ प्रसिद्ध मंदिरों का दर्शन कराए थे । अब हम आपको कुछ और मंदिरों, उनके पीछे के रहस्यों से अवगत कराएंगे । तो आइए भारत के प्रसिद्ध मंदिरों से आपको दर्शन कराते है ।

सिद्धिविनायक मंदिर, मुम्बई | Siddhi Vinayak Mandir | Facts about Sidhi Vinayak Mandir

सिद्धिविनायक मन्दिर मुम्बई में स्थित एक प्रसिद्ध गणेश जी का मंदिर है। सिद्घिविनायक, गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। यहां गणेश जी के दर्शन के लिए देश विदेश से आवागमन होता है, गणेश चतुर्थी के दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालू आते हैं।
क्या आपको पता है कि इस सिद्धिविनायक क्यों कहा जाता है?
गणेश जी जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं।
इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण सन् 1801 में किया गया, बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके निर्माण में लगने वाली राशि एक कृषक महिला ने दी थी, जिसकी कोई संतान नहीं थी, उसके मंदिर में राशि लगाने के पिछे कारण यह था कि भगवान किसी और महिला को बांझ बनने से रोके।

रामनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु | Ramnath Swami Mandir | Facts about Ramnath Swami Temple

रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है, जो 12 ज्योतिर्लिंगम में से एक है । ऐसा माना जाता है कि रामेश्‍वरम वह स्‍थान है जहां भगवान राम ने अपने पापों का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया था । रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने अपने पापों का प्रायश्चत के लिए हनुमान से शिवलंग, कैलाश पर्वत से लाने को कहा, मगर हनुमान के देर तक ना लौटने के बाद सिता के हाथों की बनाई हुई शिवलिंग को राम ने गर्भगृह में स्थापित किया।
रावण भी साधारण राक्षस नहीं था। वह महर्षि पुलस्त्य का वंशज ओर वेदों का ज्ञानी ओर शिवजी का बड़ा भक्त भी था। श्रीराम को उसे मारने के बाद बड़ा खेद हुआ। ब्रह्मा-हत्या के पाप प्रायस्चित के लिए श्री राम ने युद्ध विजय पश्र्चात भी यहां रामेश्वरम् जाकर पुजन किया।
आखिर में जब हनुमान शिवलिंग लेकर वापस आए तो उसे राम जी ने यहां स्थापित किया जिसे हनुमानलिंगम के नाम से जानते हैं। ये दोनों ही लिंग इस मंदिर में आज भी हैं ।

केदारनाथ मंदिर | Kedarnath Mandir Uttrakhand | Facts about Kedarnath Temple

बर्फ के अंदर पूरी तरह से ढका हुआ बाबा केदारनाथ का मंदिर जिसे बारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है, जिसकी महिमा अपरंपार है. चारों तरफ बर्फ के पहाड़ और दो तरफ से मन्दाकिनी और सरस्वती नदियों के बीचों बीच खड़ा शिव का ये अनोखा मंदिर । केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है । उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है । यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं । पुराणों में वर्णित मान्यताओं के अनुसार महाभारत की लड़ाई के बाद पाण्डवों को जब अपने ही भाइयों के मारे जाने पर भारी दुख हुआ तो वे पश्चाताप करने के लिए केदार की इसी भूमि पर आ पहुंचे, कहते हैं उनके ही द्वारा इस मंदिर की स्थापना हुई थी । रक्षाबंधन से पहले श्रावणी अन्नकूट मेला लगता है. कपाट बन्द होने के दिन विशेष समाधि शंकराचार्य की पूजा होती है ।

कोणार्क सूर्य मंदिर, उड़िसा | Konark Sun Temple | Facts about Sun Temple in India

हिंदू धर्म के अनुसार एक सुर्य देवता हैं जिनका प्रत्यक्ष रुप में पुजन किया जाता है , यानी देवताओं में से एक सूर्य ही हैं जिन्हें साक्षात देखकर उनकी पूजा की जाती है । सूर्य देव की भारत में अनेकों मंदिर हैं लेकिन उन मंदिरों में से एक मंदिर उड़िसा के कोणार्क का सूर्य मंदिर है । यह मंदिर अपनी अनोखी बनावट और खूबसूरती के कारण यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है । भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लाखों पर्यटक इसको देखने कोणार्क आते हैं । मंदिर का संरचना इस प्रकार की गई है जैसे एक रथ में 12 विशाल पहिए लगाए गये हों और इस रथ को 7 ताकतवर बड़े घोड़े खींच रहे हों और इस रथ पर सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है। मंदिर से आप सीधे सूर्य भगवान के दर्शन कर सकते हैं। मन्दिर के आधार को सुन्दरता प्रदान करते ये बारह चक्र साल के बारह महीनों को परिभाषित करते हैं तथा प्रत्येक चक्र आठ अरों से मिल कर बना है, जो अर दिन के आठ पहरों को दर्शाते हैं। यहां पर स्थानीय लोग प्रस्तुत सूर्य-भगवान को बिरंचि-नारायण कहते थे ।


दक्षिणेश्वर काली मन्दिर , कोलकाता | Dakshineshwar Kali Bari | Biggest Kali Mandir in India

उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जोकि मान्यतानुसार हिन्दू देवी काली का एक रूप है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है । दक्षिणेश्वर काली मंदिर में 12 गुंबद हैं। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं। मां काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। जान बाजार की ज़मीन्दार, रानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई।

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