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सबसे बड़ा दान क्या है?

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Purvi Aggarwal
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yayınlandı 02 Jun 2020 / İçinde Nasıl Yapılır ve Stil

⁣कई दिनों के विहार के बाद भगवान् बुद्ध मगध की राजधानी राजगृह से प्रस्थान करने वाले थे। लोगों को जब यह पता चला तो वे उनके लिए भेंट आदि लेकर उनके दर्शनों के लिए आने लगे। अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए बुद्ध लोगों की भेंट स्वीकार कर रहे थे। सम्राट बिम्बसार ने उन्हें भूमि, खाद्य, वस्त्र, वाहन आदि प्रदान किए। नगर सेठों ने भी धन-धान्य और सुवर्ण आभूषण उनके चरणों में अर्पित कर दिए। सभी के दान को स्वीकार करने के लिए बुद्ध अपना दायां हाथ उठा कर स्वीकृति इंगित कर देते थे।

भीड़ में एक वृद्धा भी थी। वह बुद्ध से बोली – "भगवन, मैं बहुत निर्धन हूँ। मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। आज मुझे पेड़ से एक आम गिरा हुआ मिल गया। मैं उसे खा रही थी तभी मैंने आपके प्रस्थान करने का समाचार सुना। उस समय तक मैं आधा आम खा चुकी थी। मैं भी आपको कुछ अर्पित करना चाहती हूँ लेकिन मेरे पास इस आधे खाए हुए आम के सिवा कुछ भी नहीं है। इसे ही मैं आपको भेंट करना चाहती हूँ। कृपया मेरी भेंट स्वीकार करें।"

वहां उपस्थित अपार जनसमुदाय, राजा-महाराजाओं और सेठों ने देखा कि भगवान बुद्ध अपने आसन से उठकर नीचे आए और उन्होंने दोनों हाथ फैलाकर वृद्धा का आधा आम स्वीकार किया।

आइए जानते हैं कि महात्मा बुद्ध ने क्या कहा |


Credit/Source:- ⁣https://www.youtube.com/watch?v=6dJV9Rji15A

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